लद्दाख में चीन से तनाव के बीच भारत को 3-4 नए राफेल विमान नवंबर के पहले हफ्ते में मिल जाएंगे। फ्रांस से फाइटर जेट राफेल की डील के तहत यह दूसरी डिलीवरी होगी। 5 राफेल विमानों का पहला बैच 29 जुलाई को भारत पहुंचा था, फिर 10 सितंबर को इन्हें एयरफोर्स में शामिल किया गया था।
न्यूज एजेंसी एएनआई के सूत्रों के मुताबिक हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर राफेल विमानों के लिए तैयारियां चल रही हैं। फाइटर जेट्स का दूसरा बैच मिलने पर वायुसेना में राफेल की संख्या 8-9 हो जाएगी। पहले बैच में आए फाइटर जेट्स लद्दाख में तैनात किए गए हैं।
फ्रांस से 36 राफेल की डील
भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ रुपए में 36 राफेल जेट की डील की थी। इनमें से 18 अंबाला और 18 बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रखे जाएंगे। हासीमारा एयरबेस चीन और भूटान सीमा के करीब है। 2 इंजन वाले राफेल फाइटर जेट में 2 पायलट बैठ सकते हैं। यह जेट एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।
राफेल से परमाणु हमला भी किया जा सकता है
राफेल ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर जेट है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।
100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है
राफेल में सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। इसके अलावा राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।
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